अणुव्रत मानसिकता के परिवर्तन का प्रशस्त तरीका है। अणुव्रत आचार्य तुलसी द्वारा दिया गया एक ऐसा आंदोलन है जिसकी भारत को ही नहीं, विश्व को अपेक्षा है। मैं चाहता हूँ इसका बाहर भी प्रचार हो।
हमें अपने देश का मकान बनाना है तो उसकी बुनियाद गहरी होनी चाहिए। सबसे गहरी बुनियाद चरित्र की होती है। कितना अच्छा काम अणुव्रत आंदोलन में हो रहा है। इस काम में जितनी तरक्की हो, उतना ही अच्छा है। मैं चाहता हूँ अणुव्रत आंदोलन का जो काम हो रहा है, वह पूरी तरह से सफल हो।
अणुव्रत आंदोलन असाम्प्रदायिक और सार्वभौम है। आचार्य श्री तुलसी के नेतृत्व में जो मंगलकारी कार्य हो रहा है, उसके साथ मैं तन्मय हूँ और मेरी जो कुछ भी शक्ति है, उसे इस पुण्य कार्य में लगाने को तत्पर हूँ।
श्अणुव्रत्य की कल्पना बहुत सुंदर है। देश में नैतिकता की गहरी कमी दिखायी पड़ती है। उसमें परिवर्तन करने के लिए अणुव्रत आंदोलन सहायक हो सकता है। आचार्य श्री तुलसी अणुव्रत आंदोलन की सफलता के लिए हम सबकी श्रद्धा और सहयोग के अधिकारी हैं।
मैं मानता हूँ कि व्रतों के बिना दुनिया चल नहीं सकती। व्रतों को त्यागने से सर्वनाश हो जाता है। अणुव्रत आंदोलन इस दिशा में मार्ग-सूचक बने, ऐसी मेरी भावना है।
केवल स्वतंत्र हो जाने से ही सारी समस्याओं का हल नहीं हो जाता। स्वतंत्रता के बाद और ईमानदारी के साथ काम करने की आवश्यकता है। आचार्य श्री तुलसी देश के नैतिक धरातल को उठाने का सतत प्रयत्न कर रहे हैं। मुझे आशा है अणुव्रत आंदोलन से समाज व देश का काफी भला होगा।
आचार्यजी भारतीय सन्त परम्परा में विशिष्ट कोटि के सन्त हैं। आप द्वारा मानव-कल्याणकारी प्रवृत्ति धर्म की सुरक्षा के लिए संबल है। भगवान बुद्ध और महावीर की समकालीन परम्परा आज भी जीवंत है। उनके उपदेशों को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास सफल हो।
अणुव्रत आंदोलन राष्ट्र के उत्थान के लिए एक सामूहिक आंदोलन है, ऐसे आंदोलन धर्म की पृष्ठभूमि को विकासशील बना सकते हैं। इसके प्रवर्तक ने विशाल दृष्टि से इसको रखा है, जिससे समस्त धर्मावलम्बी सहयोग कर सकें। यह आंदोलन जनता के नैतिक एवं सांस्कृतिक उद्धार की दिशा में पहला कदम है।
आचार्य श्री तुलसी मानवता के पुजारी हैं। उनका आंदोलन हृदय-परिवर्तन के माध्यम से काम करने वाला अभियान है। विचारों और अन्तरूकरण के परिवर्तन से जो नयी ऊर्जा और शक्ति जीवन में संप्रेषित होगी, वही वास्तव में अणुव्रत आंदोलन की उपलब्धि होगी।
आचार्य श्री तुलसी अणुव्रत आंदोलन के रूप में दुनिया की सब बुराइयों का एक समाधान प्रस्तुत करते हैं, जो सर्वसम्मत है। वह है - आत्मशुद्धि का वह प्राचीन सन्मार्ग जो मनुष्य के जीवन को सुखद बना सकता है।
अणुव्रत आंदोलन का आज देशव्यापी प्रभाव है। यह उसकी तपस्याओं और सुविचारित प्रवृत्तियों का परिणाम है। नैतिक समाज-संरचना के लिए अणुव्रत के विविध कार्यक्रमों के रचनात्मक स्वरूप के साथ संगठन इसकी पहली और महती आवश्यकता है। हमें सर्वप्रथम इसी बुनियादी पक्ष पर विचार करना है।
सब धर्मों का सार एक है कि इंसान को इंसान समझो और इंसान की खिदमत में अपने आपको लगाओ। इसके लिए अहिंसा का मार्ग स्वीकार करना होगा। सब लोग अपनी आवश्यकता को सीमित करें और अनुशासन में रहें तो कठिनाइयों का मुकाबला किया जा सकता है।
आज राष्ट्र की ज्वलंत समस्या है, चरित्र का अभाव। इस समस्या का समाधान तथ्य क्या हो? यह देश के सामने अहम प्रश्न है। आचार्य श्री ने अणुव्रत के माध्यम से हम सब लोगों को ऐसा रास्ता दिखाया है जो सबके लिए कल्याणकारी है।
अणुव्रत वर्ग-भेद की समाप्ति पर बल देता है, यह प्रयास भारत के लिए गौरव की बात है। आचार्यजी जैसे सन्त पुरुष ऐसा प्रयास करें, तो ही भारत से वर्ग-भेद की समाप्ति का स्वप्न लिया जा सकता है। वरना यह कार्य बेहद कठिन है।
श्रमण-संस्कृति में पदयात्रा को भारी महत्व दिया गया है। आचार्य तुलसी ने अल्पकाल में ही सम्पूर्ण भारत की पदयात्रा कर अध्यात्म से प्रेरित लोक-कल्याणकारी भावनाओं का संकलन किया है और भारतीय जीवन में नैतिक शक्ति का संचार किया है।