अध्यक्षीय संदेश
अणुव्रत आन्दोलन एक अहिंसक व शान्तिप्रिय समाज के निर्माण के उद्देश्य को समर्पित एक मानवतावादी आन्दोलन है। समाज की मूल इकाई व्यक्ति है और इसीलिये अणुव्रत आन्दोलन व्यक्तित्व रूपान्तरण के माध्यम से सामाजिक रूपान्तरण की अवधारणा पर काम करता है। महान दूरदर्शी संत आचार्य श्री तुलसी ने एक मार्च 1949 को राजस्थान (भारत) के एक छोटे से कस्बे सरदारशहर से इस युगान्तकारी आन्दोलन की शुरूआत की। आज यह आन्दोलन 75 वर्षों का ऐतिहासिक सफर तय कर अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के आध्यात्मिक मार्गदर्शन में 'अणुव्रत अमृत महोत्सव' मना रहा है ।
अणुविभा के संक्षिप्त नाम से लोकप्रिय अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी अणुव्रत की प्रतिनिधि केन्द्रीय संस्था है। संयुक्त राष्ट्र संघ के वैश्विक संचार विभाग से सम्बद्ध अणुविभा का लगभग 40 देशों में नेटवर्क है और भारत व नेपाल में इसके लगभग 200 केन्द्र संचालित हैं। हजारों अणुव्रत कार्यकर्ता सद्भाव व सहअस्तित्व की भावना के साथ शान्तिपूर्ण समाज निर्माण के यज्ञ में स्वयं को आहूत किये हुए हैं।
अणुव्रत का सर्वसमावेशी दर्शन सामाजिक ताने-बाने और व्यक्तिगत जीवनशैली के हर पक्ष को समाहित करता है। 11 सूत्रीय अणुव्रत आचार संहिता आदर्श जीवन जीने की दिशा प्रशस्त करती है। इन व्रतों के आसपास व्यक्ति अपनी जीवनशैली को विकसित कर जहाँ स्वकल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है, वहीं एक सुन्दर समाज व विश्व के निर्माण में अहम् भूमिका निभाता है।
अणुविभा अपने बहुआयामी प्रकल्पों के माध्यम से जन-जागरण के अभियान को निरन्तर गतिशील रखती है। किसी भी जाति, धर्म, रंग, क्षेत्र अथवा वर्ग भेद के कोई भी व्यक्ति इस आन्दोलन से जुड़कर अपनी सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। आइये! हम सब मिलकर इस जनहितकारी अभियान को गति प्रदान करें। शुभकामनाओं सहित।
अविनाश नाहर
अध्यक्ष