'अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के पावन मार्गदर्शन में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी अपने सामाजिक सरोकार के महत्वपूर्ण विषय पर्यावरण के प्रति जागरुकता के प्रकल्प को लेकर कटिबद्ध है। वस्तुतः यदि हम यह कहें कि मर्यादामय ईको-फ्रेंडली जीवनशैली ही मानव समाज के लिए हितकारी है, तो शायद कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। दुर्भाग्य यह है कि मनुष्य की बहुतायत जनसंख्या अपने जीवन मूल्य को अनदेखा करते हुए ईको-फ्रेंडली जीवनशैली के ठीक विपरीत कार्यकलापों में व्यस्त और मस्त है। परिणामस्वरूप पैरों पर कुल्हाड़ी मारते मानव समाज के समक्ष प्राकृतिक एवं मनुष्य जनित पर्यावरणीय समस्याओं की लम्बी श्रृंखला खड़ी हो चुकी है। वैश्विक समाज के समक्ष पर्यावरण सुरक्षा बहुत ही चिंतनीय विषय बन चुका है।
पर्यावरण की उपेक्षा के परिणाम
प्राकृतिक आपदाएं | भूकंप | सुनामी | अकाल-सूखा | बीमारियां | हिमस्खलन |
ज्वालामुखी | बाढ़ | चक्रवात | बर्फानी तूफान | महामारी | सौर भड़काव |
याद रखें ये खतरा नहीं है, ये घट रही घटनाएं हैं।
- इन आपदाओं में लाखों जानें जा चुकी हैं।
- लाखों परिवार बेघर, बेजमीन हो चुके हैं।
- करोड़ों एकड़ कृषि भूमि बंजर हो चुकी है।
- प्राणवायु देने वाले अनेक वृक्ष-पौधों का अस्तित्व ही मिट गया है।
यह सब क्यों होता है?
- पर्यावरण असन्तुलन एवं मानव जनित कारण ही इसकी पृष्ठभूमि में रहते आये हैं।
- प्रकृति से छेड़छाड़ और प्राकृतिक सम्पदाओं का असीमित दोहन इसका बड़ा कारण है।
- पर्यावरण के प्रति मानवीय संवेदनाओं की कमी।
- पशु-पक्षियों व जीवों के प्रति दया भाव का गिरता स्तर।
- वनों की अंधाधुंध कटाई।
अन्ततः, यदि यही अवस्थाएं रहीं, मानव समाज का स्वार्थ घटा नहीं, पर्यावरण जन-जागरण के प्रति उदासीनता रही तो निश्चित है पृथ्वी का विनाश कोई नहीं रोक सकता है। यह ग्रह तो होगा, परन्तु यहाँ जीवन नहीं होगा। पृथ्वी एक इतिहास ही बन जाएगी।
विरोधाभास देखें
आज हम दूसरे ग्रहों पर जीवन को तलाशने में लगे हैं। सहज सुलभ उपलब्ध प्रकृति की अनुपम भेंट पृथ्वी एवं उसके शुद्ध पर्यावरण का त्याग करके अन्य ग्रहों पर जाने की योजनाएं बना रहे हैं। पृथ्वी के मौलिक स्वरूप को बिगाड़कर मनुष्य जीवन कहीं भी संभव हो पाएगा भला ? सोच कर जरूर देखें कि हम पर्यावरण में हो रहे प्रदूषण को कम करने में क्या-क्या सामाजिक सरोकार कर सकते हैं?
पर्यावरण जागरुकता अभियान
पर्यावरण जागरुकता अभियान के अंतर्गत अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी अणुव्रत आचार संहिता के ग्यारहवें नियम का अक्षरशः पालन हो, इस दिशा में सांगोपांग प्रयास कर रही है -
- मैं पर्यावरण की समस्या के प्रति जागरूक रहूँगा/ रहूँगी।
- मैं हरे-भरे वृक्ष नहीं काटूंगा/कादूँगी।
- मैं पानी-बिजली आदि का अपव्यय नहीं करूँगा/करूँगी।"
ईको-फ्रेंडली फेस्टिवल्स
- अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी ने अपने पर्यावरण जागरुकता अभियान के अंतर्गत देशभर में फेस्टिवल्स को ईको-फ्रेंडली स्वरूप में मनाने का निर्णय किया है। ईको-फ्रेंडली फेस्टिवल मनाने का मुख्य ध्येय यही है कि पर्यावरण की हर कीमत पर सुरक्षा की जाये तथा प्रदूषण रोकने की दिशा में कार्य हो। ऊर्जा-बिजली की बर्बादी को रोकने का काम हो। जल अमूल्य है, अतः जल संरक्षण किया जाये। जल का अपव्यय नहीं हो। तमाम तरह के प्लास्टिक के प्रति लोगों में जागृति लाने का कार्य हो कि यह प्लास्टिक हमारे स्वास्थ्य के प्रति कितना अधिक हानिकारक है।
- पर्यावरण जागरुकता अभियान में न सिर्फ बुद्धिजीवी विद्वानों के साथ चर्चा होती है बल्कि कॉलेज-स्कूल के विद्यार्थियों को भी अधिकाधिक जोड़ने का प्रयास होता है ताकि नयी पीढ़ी इस विषय पर अपनी जिज्ञासाओं को व्यक्त कर सके तथा पर्यावरण हित में कार्य कर सके।
- ईको-फ्रेंडली फेस्टिवल का क्रम वर्ष पर्यन्त चलता रहे और पर्यावरण के लिए बढ़-चढ़कर कार्य हो सके इस हेतु तमाम अणुव्रत समितियों की सहभागिता इस प्रयास को व्यापकता प्रदान करेगी।
विश्व पर्यावरण दिवस
अंतरराष्ट्रीय समस्या बन चुके पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम एवं जन-जागरण के उद्देश्य से विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण जागरुकता अभियान के क्रम में अंतरराष्ट्रीय वेबिनार, राष्ट्रीय संगोष्ठियां, साइकिल मैराथन रैली, नुक्कड़ नाटक प्रदर्शन, चित्रकला प्रतियोगिता, गीत गायन प्रतिस्पर्धा, डॉक्यूमेंट्री, फोटोग्राफी कॉम्पिटिशन, कविता लेखन, पेपर बैग मेकिंग आदि रचनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
ईको-फ्रेंडली लाइफस्टाइल
अणुव्रत जीवनशैली एक प्रकृति प्रेमी जीवनशैली है। संयम आधारित इस जीवनशैली को अपनाकर हम पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। पर्यावरण के प्रति सकारात्मक सोच के साथ विश्वविद्यालय, कॉलेज, स्कूल, सरकारी, गैरसरकारी विभाग कार्यालयों में चेतना लाने के उद्देश्य से वहाँ के परिसर में ईको-फ्रेंडली लाइफस्टाइल स्लाइड प्रदर्शन आदि के माध्यम से कार्यक्रमों का आयोजन पर्यावरण जागरुकता अभियान का नियमित क्रम है।
अणुव्रत वाटिका
देशभर में अणुव्रत समितियों द्वारा अणुव्रत वाटिकाओं के निर्माण कार्य को सम्पादित कर नवाचार को बढ़ावा देना, पर्यावरण जागरुकता अभियान का महत्वपूर्ण प्रकल्प है। भविष्य में यही अणुव्रत वाटिकाएं आदर्श स्थापित कर समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगी। अणुव्रत वाटिकाओं का स्वरूप अणुव्रत समितियां स्थानीय आवश्यकताओं एवं संसाधनों के अनुरूप निर्धारित कर सकती हैं। हर्बल पार्क विकसित करना भी एक बेहतर विकल्प है, जिसमें औषधि एवं पौधों के विकास को बल मिलता है। अनेक स्थानों पर अणुव्रत सर्कल बने हैं जिन्हें भी पर्यावरण प्रिय स्वरूप दिया जा सकता है।
नयी पीढ़ी का प्रकृति से जुड़ाव
पर्यावरण का संरक्षण आने वाली पीढ़ियों के सुखद भविष्य के लिए अहम है नयी पीढ़ी में प्रकृति प्रेम व पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता विकसित करना इस अभियान का महत्वपूर्ण पक्ष है। विद्यालयों में अणुव्रत वाटिका विकसित करना और बच्चों को इसके विकास व संरक्षण के साथ जोड़ना एक प्रायोगिक प्रशिक्षण सिद्ध होता है। पर्यावरण के विषय में खुली चर्चा व वाद-विवाद प्रतियोगिताएं इस विषय की गंभीरता को समझने में सहायक बनती हैं। पर्यावरण आधारित चित्रकला प्रतियोगिताएं भी इस अभियान का महत्वपूर्ण अंग हैं।