अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी
अणुव्रत आंदोलन
अणुव्रत आंदोलन अपना अमृत महोत्सव मना रहा है। 1947 में देश की आजादी के बाद सांप्रदायिक हिंसा की आग ने जनमानस को लहूलुहान कर दिया था। दुनिया भी विश्व युद्ध के घावों से उबर नहीं पाई थी। उस वक्त राष्ट्रीय चरित्र को उन्नत कर स्व-अनुशासन की भावना को मजबूती देने के लिए 20वीं सदी के महान संत आचार्य तुलसी ने "संयम ही जीवन है" का सूत्र दिया और 1 मार्च 1949 को अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया।
अणुव्रत का उद्घोष है - संयमः खलु जीवनम् अर्थात् संयम ही जीवन है। अणुव्रत एक असाम्प्रदायिक धर्म है। अणुव्रत एक सम्पूर्ण जीवनशैली है। यह एक अहिंसक और संयमप्रधान जीवनशैली है जो उपभोगवादी जीवनशैली का एक बेहतर विकल्प है। अणुव्रत का दर्शन बिना किसी जाति, वर्ण, संप्रदाय, रंग अथवा लिंग भेद के व्यक्ति-व्यक्ति की नैतिक चेतना को जागृत कर स्व-कल्याण, समाज और विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।
अणुविभाः एक परिचय
अणुविभा के संक्षिप्त नाम से लोकप्रिय अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी मानवीय मूल्यों के आधार पर आदर्श समाज रचना के बुनियादी लक्ष्य को केन्द्र में रख कर कार्यरत एक अन्तरराष्ट्रीय संस्था है। यह संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ के सिविल सोसायटी विभाग से सम्बद्ध है। भारत में 200 से अधिक शहरों/कस्बों में अणुव्रत समितियों व अणुव्रत मंचों के रूप में अणुव्रत आंदोलन का सुदृढ़ संगठन है जिससे जुड़े हजारों कार्यकर्ता इस मिशन को आगे बढ़ाने में संलग्न हैं। 50 से अधिक देशों में समवैचारिक संस्थाओं व व्यक्तियों से अणुविभा की नेटवर्किंग है।
अणुव्रत दर्शन के निदेशक तत्त्व
- प्राणिमात्र के अस्तित्व के प्रति संवेदनशीलता
- मानवीय एकता
- सह-अस्तित्व की भावना
- साम्प्रदायिक सद्भाव साधन-शुद्धि की आस्था अभय
- अहिंसात्मक प्रतिरोध
- व्यक्तिगत संग्रह और भोगोपभोग की सीमा
- व्यवहार में प्रामाणिकता
- साधन-शुद्धि की आस्था
- अभय, तटस्थता और सत्य-निष्ठा
अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण
शब्द अपने आपमें दृढ़ होता है। दृढ़ शब्द में चेतना जगाने की ताकत होती है, इसलिए जब लेखक उपयुक्त शब्द का उपयुक्त स्थान पर उपयोग करता है तो उसके लेखन में चमत्कार पैदा हो जाता है। लेखक अणुव्रत के दर्शन को भली प्रकार समझे और ऐसे साहित्य का निर्माण करे जो नैतिक संपन्न हो और बेहतर विश्व की रचना में योग दे। जन-मन में आध्यात्मिकता, नैतिकता और अहिंसा का प्रसार हो, ऐसी मंगलकामना है।
अणुव्रत लेखक मंच
अणुव्रत लेखक मंच राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय एक अभिनव उपक्रम है, जिसके माध्यम से मानवीय एवं नैतिक मूल्यों को बल दिया जा रहा है। समाज निर्माण में साहित्य और साहित्यकार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेखक की कलम से निकलने वाले शब्द जन-मानस की चेतना को झंकृत करते हैं। कलम की यह ताकत आमजन को जीवन-निर्माण की सकारात्मक दिशा में प्रेरित करे, यह स्वस्थ समाज संरचना के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस जिम्मेदारी को समझ कर लेखन करने वाले साहित्यकारों का समवाय है अणुव्रत लेखक मंच। एक ऐसा मंच जो साहित्यकारों के मध्य सतत चिंतन- मनन और विचारों के आदान-प्रदान की भावभूमि उपलब्ध करा सके ताकि लेखनी की धार को अधिक ताकत व सही दिशा मिल सके। सकारात्मक, स्वस्थ एवं नैतिक लेखन से जुड़े लेखकों की शक्ति संगठित रूप में समाज एवं राष्ट्र को नई दिशा दे सके और लेखक की पहचान को नई आभा से आलोकित कर सके, यही अणुव्रत लेखक मंच का हार्द है।
अणुव्रत लेखक मंच से जुड़ने का अनुरोध
- अणुव्रत दर्शन और अणुव्रत लेखक मंच के उद्देश्यों में विश्वास रखने वाले लेखक, साहित्यकार मंच के सदस्य बन सकते हैं।
- अणुव्रत लेखक मंच की सदस्यता निःशुल्क है।
- अणुव्रत लेखक मंच के सदस्य को अणुविभा के मासिक प्रकाशन 'अणुव्रत' अथवा 'बच्चों का देश' निःशुल्क अथवा रियायती मूल्य पर भेजी जा सकेगी।
- मंच के सदस्यों की चयनित रचनाओं का अणुव्रत नेटवर्क के माध्यम से प्रकाशन, प्रसारण करने का प्रयास किया जाएगा।
- राष्ट्रीय व स्थानीय स्तर पर होने वाले ऑफलाइन/ऑनलाइन अणुव्रत लेखक सम्मेलन/संगोष्ठियों में मंच के सदस्यों को आमंत्रित किया जाएगा।
- अणुव्रत लेखक मंच के सदस्यों से यह अपेक्षा है कि वे प्रामाणिक, सादगीपूर्ण और नशामुक्त जीवन जीएं।
- अणुव्रत लेखक मंच के सदस्यों का लेखन अणुव्रत के निदेशक तत्त्वों एवं इसके मानवतावादी दर्शन को पुष्ट करने वाले हों।
अणुव्रत लेखक पुरस्कार
अणुव्रत लेखक मंच की एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है- अणुव्रत लेखक पुरस्कार। प्रति वर्ष उत्कृष्ट, नैतिक एवं आदर्श लेखन के लिए चयनित लेखक को 'अणुव्रत लेखक पुरस्कार' प्रदान किया जाता है। पुरस्कार स्वरूप इक्यावन हजार रुपये की राशि, प्रशस्ति-पत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान किया जाता है। अब तक 22 लेखकों को सम्मानित किया गया है।
अणुव्रत प्रकाशन
'अणुव्रत' पत्रिका
'अणुव्रत' पत्रिका अणुव्रत आंदोलन की मासिक पत्रिका है। पिछले लगभग सात दशकों से मूल्य आधारित जीवनशैली को बढ़ावा देने वाली इस पत्रिका का नियमित प्रकाशन स्वयं में गौरव का विषय है। पत्रिका में प्रकाशित सामग्री की भाषा संतुलित व सारगर्भित हो एवं त्रुटि रहित हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। पत्रिका में जहां अणुव्रत अनुशास्ता के विचार अणुव्रत दर्शन को गहनता से समझने में सहायक होते हैं वहीं जीवनशैली आधारित आलेख विभिन्न पक्षों को उजागर करते हैं।
'बच्चों का देश' पत्रिका
'बच्चों का देश' नई पीढ़ी का सर्वांग संतुलित दिशा दर्शन करने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका है। गत दो दशकों से प्रकाशित हो रही इस पत्रिका को देश के मूर्धन्य मनीषियों का समर्थन प्राप्त हुआ है। मारधाड़ और हिंसा के तत्त्वों से दूर यह पत्रिका बाल मनोविज्ञान के आधार पर बच्चों को स्वस्थ मनोरंजन के साथ जीवन निर्माण का मार्ग सुझाती है।