शिविर में बच्चे सीखते हैं लोकतांत्रिक और मानवीय मूल्यों का पाठ
Sep, 2023
अणुविभा मुख्यालय में तीन दिवसीय अणुव्रत बालोदय शिविर का आयोजन संयोजिका डॉ. सीमा कावड़िया की रिपोर्ट जिसकी आज की औपचारिक शिक्षा में नितांत जरूरत है।
निश्छल मुस्कान और थोड़ी- थोड़ी चंचलता लिये इन बच्चों ने अणुविभा की बालोपयोगी भाव जागरण गुफा, गुड़िया घर, तुलसी दर्शन कक्ष, बाल संसद कक्ष, बाल फिल्म प्रदर्शन कक्ष, वाचनालय कक्ष, खेल मैदान पर तीन दिन तक मनोवैज्ञानिक तरीकों से बहुत कुछ सीखा, जो इनके जीवन की अमूल्य धरोहर बन गया।
राजसमंद। कक्षा पाँच से सात तक के बालक-बालिकाओं को शिविर के समापन दिवस पर बच्चों के चेहरे पर मुखरित हो रही थी घर लौटने की बाल सुलभ उदासी और जिज्ञासा कि हम दुबारा
राजसमंद। कक्षा पाँच से सात तक के बालक-बालिकाओं को तीन दिन प्रकृति के सुरम्य वातावरण में किलकारियां भरने, घरेलू माहौल के बीच विद्यार्थी जीवन के सुन्दर पल जीने और छोटी- छोटी मनोरंजक क्रियाओं के द्वारा कुछ सीखने, कुछ करने और कुछ पाने के एहसास का नाम है अणुव्रत बालोदय शिविर | अणुव्रत विश्व भारती मुख्यालय परिसर में तीन दिन के आवासीय शिविरों की श्रृंखला में 8 से 10 सितम्बर तक आयोजित शिविर में इस बार मेहमान थे ज्ञानोदय सीनियर सेकंडरी स्कूल आमेट, सविता इंटरनेशनल स्कूल राज्यावास और सुभाष सीनियर सेकंडरी स्कूल धोइन्दा के 114 बच्चे ।
शिविर की संकल्पना से परिचित कराते हुए अणुव्रत अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय संयोजक संचय जैन ने कहा कि बच्चों का मन एक विशाल आसमान है जहाँ ढेर सारी जिज्ञासाएं, ज्ञान और कल्पनाएं होती हैं। उन्मुक्त वातावरण में उन्हें अनेक एक्टिविटीज द्वारा मौका मिलता है तो वे भाव और बुद्धि के स्तर पर एक स्वतः स्फुरित प्रकाश पाते हैं। साथ ही लोकतांत्रिक और मानवीय मूल्यों का पाठ सहज ही सीख जाते हैं। जरूरत है बस अवसर दिये जाने की। यहीं से स्कूल की एक अभिनव भूमिका विकसित होती है जिसे "स्कूल विद ए डिफरेंस" कहा जाता है। अणुव्रत बालोदय शिविर इस दृष्टि से स्कूली शिक्षा का एक अनौपचारिक और भावनात्मक पक्ष उजागर करता है।
बच्चों के चेहरे पर मुखरित हो रही थी घर लौटने की बाल सुलभ उदासी और जिज्ञासा कि हम दुबारा कब यहाँ आएंगे। अणुव्रत अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय संयोजक संचय जैन, अणुव्रत बालोदय की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. सीमा कावड़िया, स्कूल विद ए डिफरेंस के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. राकेश तैलंग, प्रशिक्षक मोनिका बापना और मोनिका राठौड़ के साथ ही प्रतिभा जैन, देवेन्द्र आचार्य, विमल मुशरफ, जगदीश बैरवा आदि के साथ बच्चों ने अपने अनुभव साझा किये और अपने स्कूल जाकर शिविर में सीखी गयी बातों पर चर्चा करने का वादा किया।