धर्म उत्कृष्ट मंगल है: आचार्य श्री महाश्रमण
Aug, 2023
अणुव्रत अनुशास्ता का मुंबई में भव्य चातुर्मासिक मंगल प्रवेश
मुंबई | अणुव्रत अनुशास्ता अणुव्रत यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमणजी ने चतुर्माके लिए अपनी धवल सेना के साथ 28 जून को सुबह नंदनवन परिसर में पावन प्रवेश किया।
उपस्थित जनमेदिनी को अमृत रस का पान करवाते हुए आचार्य श्री ने फरमाया कि हमारी दुनिया में मंगल की कामना की जाती है। आदमी विघ्न-बाधाओं से बचने की इच्छा करता है और बचने का प्रयास भी करता है। शुभ मुहूर्त में प्रवेश करते हैं, इसमें भी मंगल की कामना अन्तर्निहित हो सकती है। अनेक कार्यों में मंगल की कामना होती है। कुछ पदार्थ भी मंगल के रूप में आसेवित किये जाते हैं। शास्त्रकार ने मंगल के संदर्भ में अत्यन्त महत्वपूर्ण बात बतायी है कि धर्म उत्कृष्ट मंगल है। मेरा भी मंतव्य है कि धर्म से बढ़कर दूसरा कोई मंगल नहीं है। अहिंसा, संयम और तप में धर्म है। सम्पूर्ण आत्मशुद्धिकारक धर्म इसमें आ गया।
अहिंसा आदमी के जीवन में है, धर्म का एक आयाम उसके जीवन में आ गया। संयम और तप है तो धर्म का दूसरा तीसरा आयाम भी जीवन में आ गया। साधु-साध्वियां जो महाव्रती हैं, वे अपने आपमें मंगल हैं। मंगल पाठ सुनना भी महत्वपूर्ण मंगल है। अरहंत, सिद्ध, साधु प्रज्ञप्त धर्म मंगल है। और केवली प्रज्ञप्त धर्म मंगल है।